गेंहू की खेती से अधिक उत्पादन की आधुनिक तकनीक

भारत में गेंहू की खेती बहुत अधिक मात्रा में की जाती है। गेंहू भारत में उपयोग होने वाली खाद्य अनाज की एक प्रमुख फसल है।  गेहूं भारत के हर घर में उपयोग होता है, इसे हम आम दैनिक जीवन में रोजाना खाते हैं।  भारत में आर्थिक दृष्टि से गेहूं की केवल 3 प्रजातियों की ही खेती की जाती है जिसमें से Triticum Aestivum, Triticum durum, Triticum dicoccum प्रजातियां प्रमुख है। जिसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण प्रजाति Triticum Aestivum है।

भारत में इसकी लगभग 90% क्षेत्रफल पर खेती की जाती है। इसका मुख्य उपयोग चपाती रोटियां बनाने के लिए किया जाता है। Triticum durum जाति के गेहूं की खेती 12% क्षेत्रफल पर की जाती है और Triticum dicoccum प्रजाति की खेती सिर्फ 1% क्षेत्रफल पर की जाती है।

गेंहू की खेती के लिए मुख्या जातियां –  

UP-368, UP-2003, C- 306, Raj- 821, PBW- 343, MLKS-11, Raj – 911

गेंहू की फसल का बुबाई का समय और बीजदर –

गेहूं की बुवाई हम अक्टूबर के प्रथम सप्ताह से नवंबर के अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं। जिसमें हमें बीज की कुल 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यकता होती है। गेहूं के बीच को जमीन में 5 सेंटीमीटर की गहराई तक गाड़ते हैं। जिसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 से 22 सेंटीमीटर तक रखते है।

गेंहू की खेती | Genhu Ki Kheti
गेंहू की खेती

गेहूं की फसल में खाद और और उर्वरक की मात्रा –

गेहूं की खेती में हमें ज्यादा खाद और उर्वरक की मात्रा की जरूरत नहीं होती है यदि हम अपने खेत की जांच अपने नजदीकी फसल सहायता केंद्र पर जाकर करवाते हैं। तो हमें वहां पर पता चल जाता है अगर हमारी मिट्टी में किसी प्रकार के कोई पोषक तत्व की कमी होती है। डॉक्टर हमें बता देते हैं कि आप पहले अपनी मिट्टी को उपजाऊ बनाइए उसके बाद हम अपनी फसल को आसानी से बो सकते हैं।

आमतौर पर गेहूं की फसल में 120 किलोग्राम नाइट्रोजन और 60 किलोग्राम पोटाश और 40 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड प्रति हेक्टेयर की दर से जरूरत होती है। गेहूं में ग्लूटेन पाया जाता है जिससे इसका प्रयोग बेकरी प्रोडक्ट्स बनाने में अधिक मात्रा में किया जाता है। गेहूं Caryopsis प्रकार का फल है।

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विश्व में क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का गेहूं उत्पादन में प्रथम स्थान व् रूस का दूसरा स्थान और चीन का तीसरा स्थान है। वहीं विश्व में उत्पादन की दृष्टि से प्रथम 2 राष्ट्र में चीन और भारत आते हैं। गेहूं का भारत में औसत उत्पादन करीब 30 कुंतल प्रति हेक्टेयर होता है।

  • गेहूं के दाने में 8 से 15% तक प्रोटीन और 62 से 71% तक कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है।

  • पंजाब में गेहूं की औसत उपज 45 कुंतल प्रति हेक्टेयर है।

  • उत्तर प्रदेश में गेहूं की औसत उपज 30 कुंतल प्रति हेक्टेयर है।

  • ऊसर भूमि के लिए गेहूं की कुछ प्रमुख प्रजातियां हैं, जिनमें से K – 7410 एक प्रमुख प्रजाति है।

गेंहू की खेती के लिए मुख्या सिंचाई –

गेहूं की बुवाई करते समय हमें उस फसल में सिंचाई के साधनों का भी पूर्ण ध्यान रखना होता है। अगर गेहूं की फसल के लिए हमारे पास चार सिंचाई उपलब्ध हैं। तो उनमें से पहली सिंचाई हम लोगों को जब गेहूं अपनी पहली ताजमूल अवस्था पर होता है यानी 20 से 25 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए, वहीं दूसरी सिंचाई जब गेहूं के तनों में गांठ पड़ने लगे यानी 55 से 60 दिन के अंतराल पर गेहूं की फसल में दूसरी सिंचाई करनी चाहिए और तीसरी सिंचाई जब गेहूं के दानों में दूध पढ़ने का समय शुरू हो जाए यानी 85 से 100 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए और एक सिंचाई हम लोग बीच में कर सकते हैं।

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