फूलगोभी की खेती को करने की आधुनिक तकनीक

फूलगोभी की खेती भारतवर्ष में एक बड़े पैमाने पर की जाती है। यह सब्जी हर घर में प्रयोग की जाती है। भारतवर्ष में सब्जियों में फूल गोभी को काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। फूलगोभी की खेती करते समय हमें कुछ बातों का ध्यान रखना होता है। जिनमें से उनका रखरखाव उनपर किसी प्रकार के कोई रोग का प्रभाव ना पड़े। जिससे उनके फूल बेकार ना हो और कही उसके फूल छोटे न रहे जाये। इसके लिए हम रसायन या किसी अन्य प्रकार के खाद्य पदार्थों का प्रयोग करते हैं। जिनसे हमारी फसल अच्छे तरीके से बढ़ती है। और फल अच्छे होते हैं।

फूलगोभी की खेती के लिए मृदा:-

इसकी खेती के लिए दोमट मृदा सबसे अच्छी मानी जाती है। जिस का पीएच मान 5.5 से लेकर 6.6 हो तो मृदा अच्छी होती है। यदि आप जहा फूलगोभी की फसल करना चाहते है, वहां का तापमान 15 से लेकर 22 डिग्री सेल्सियस तक रहता है तो आप यहां पर इसकी खेती कर सकते हैं। यह तापमान इसकी फसल के लिए पर्याप्त है।

फूलगोभी की खेती के लिए प्रजातियां:-

फूलगोभी की फसल के लिए मुख्यतः तीन प्रकार की प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं। पहली अगेती दूसरी मध्यम और तीसरी पछेती इन प्रजातियों की फसल अब्धि अलग अलग होती है। जैसे की अगेती प्रजातियो के लिए 80 से 90 दिन की खेती के प्रयाप्त होती है। मध्यम वर्ग की जो प्रजातियां होती है वह 90 से 100 दिन की खेती के लिए पर्याप्त होती है और पछेती किस्मो की जो प्रजातियां होती हैं वह 100 से 110 दिन के लिए पर्याप्त होती है।

फूलगोभी की खेती | Foolgobhi ki kheti
फूलगोभी की खेती

बुवाई का समय, बीजदर:-

फूलगोभी की अगेती किस्मों की बुवाई मध्य मई से लेकर जून तक कर सकते हैं। वही मध्यमवर्गीय जातियों की बुवाई जुलाई से अगस्त के बीच कर सकते हैं। और पछेती किस्मों की बुवाई सितंबर से लेकर अक्टूबर तक कर सकते हैं। इनमें पौध से पौध की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर रखते हैं। इससे इस दूरी पर फल आसानी से बड़े हो सकते हैं और यह एक दूसरे से नहीं टकराते हैं। फूलगोभी की फसल के लिए बीजदर निम्न प्रकार है:-

  • अगेती किस्मों की बुवाई के लिए में 600 से 700 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से होना चाहिए।

  • मध्यम वर्गीय किस्मों की बुवाई कर रहे हैं, तो हमें 450 से 500 ग्राम बीच प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए।

  • और वही अगर हम पछेती वर्गीय फसलों की बुवाई कर रहे हैं, तो हमें 300 से 400 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से जरुरत पड़ती है।

खाद एवं उर्वरक:-

फूलगोभी की फसल में खाद एवं उर्वरक अपना महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं। यह हमारी फसल को विभिन्न प्रकार के रोगों के लगने से बचाते हैं। और यह कीटों के प्रभाव से भी बचाते हैं।

फूल गोभी की फसल में 15 से 20 टन गोबर की खाद मिलाते हैं। यह खाद हम लोग जब खेत की बुवाई से पहले जुताई करते हैं तब यह खाद खेत में मिला सकते हैं। इससे हमारी मिट्टी उपजाऊ होती है। और खेत में उचित जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए। अन्यथा इसका दुष्प्रभाव हमारी फसलों पर पड़ सकता है। वही नाइट्रोजन की 150 किलोग्राम मात्रा हमें अपनी फसल में प्रयोग करनी चाहिए। फास्फोरस 80 किलोग्राम और पोटास 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से फूल गोभी की फसल के लिए पर्याप्त है।

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फसल के कुछ प्रमुख कीट :-

फूलगोभी की फसल में कुछ प्रमुख कीट और रोग लगते हैं। जिनमें डैंपिंग ऑफ़, ब्लैक रॉट। और कुछ कीट जो प्रमुख हैं जैसे कि एफिड कैबेज, मैगट इत्यादि।

फसल से उपज:-

  • अगेती किस्म की फसलों से हमें 100 से 125 कुंटल या 20000 से 22000 फूल या 5 से 6 कुंटल बीच प्रति हेक्टेयर की दर से प्राप्त होता है।

  • मध्यम वर्गीय फसलों फसल से 125 से 150 कुंटल या 25000 से 30,000 फूल या 5 से 6 कुंटल बीज प्रति हेक्टेयर की दर से प्राप्त होता है।

  • और पछेती किस्मो से हमे 200 से 300 कुंटल या 25000 से 28000 और 3 से 4 कुंतल बीज प्रति हेक्टेयर की दर से प्राप्त होता है।

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